जान से खिलवाड़:डीएमसीएच में सफाई पर हर माह 17 लाख खर्च फिर भी ओपीडी, गायनिक, मेडिसिन व शिशु वार्ड के अंदर और बाहर पसरी रहती है गंदगी
लेखक : गजेंद्र सिंह (दैनिक भास्कर)
दरभंगा
उत्तर बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डीएमसीएच की
साफ-सफाई पर प्रति साल 20630868 रुपए यानी प्रति माह
1719239 रुपए खर्च हाे रहे हैं। सफाई एजेंसी पटना के दीपक
श्री फाउंडेशन का दावा है कि वह तीन शिफ्ट में सफाई कार्य
करवाता है। सुबह 8 से 2 बजे, 2 बजे से रात 8 बजे एवं रात 8
बजे से सुबह तक। इसके लिए उसने 134 सफाईकर्मी काे बहाल
कर रखे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि इतनी बड़ी रकम व कर्मियों
की इतनी बड़ी फाैज के बावजूद डीएमसीएच परिसर गंदगी से पटा
रहता है।
अंदर परिसर ताे कुछ ठीक भी है लेकिन बाहरी परिसर
गंदगी से बजबजाती रहता है। मेडिकल बेस्ट के निस्तारण
की व्यवस्था पहले यहां थी। अब यह भी व्यवस्था निजी
एजेंसियों के हवाले कर दिया गया है। मुजफ्फरपुर की एक
कंपनी के जिम्मे यह काम है। हाल में चिकित्सा व्यवस्था में
हुए सुधार की वजह से प्रतिदिन ओपीडी में 2000 से
3000 मरीज इलाज के लिए आते हैं। वार्डों में 600 से
700 मरीज अधिकांश समय भर्ती रहते हैं। लेकिन गंदगी
के कारण बीमार की जान के साथ भी खिलवाड़ हाे रहा है|
सफाई व्यवस्था का आंखाें देखा हाल
ओपीडी, गायनिक, मेडिसिन व शिशु वार्ड का कचरा अस्पताल के वार्डों की दीवाराें के पीछे कई महीनों से फेंका जा रहा है। जिसके कारण वार्डों की दीवाराें के पीछे गंदगी फैली हुई है। यहां सूअर, कुत्ता व गाय का आना-जाना लगा रहता है। गंदगी की दुर्गंध से भर्ती मरीज परेशान रहते हैं। इसके कारण इलाज कराने आने वाले मरीजों काे इंफेक्शन के खतरे की आशंका बनी रहती है। इसपर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। अस्पताल में इस्तेमाल किए गए सिरींच, पाइप, स्लाइन, निडिल को अस्पताल के कोने-कोने में डंप कर दिया जाता है। वार्ड में भर्ती मरीजों का कहना है कि सफाई की व्यवस्था बहुत ही खराब है।
गायनिक : शौचालय में भरी रहती गंदगी, फिनाइल नहीं
मेडिसिन आईसीयू : गंदगी में इलाज कराना पड़ रहा
इमरजेंसी : जमीन पर पड़े रहते हैं मेडिकल वेस्ट
शिशु विभाग : परिसर में बह रहा है गंदा पानी
अस्पताल में साफ-सफाई तो हमेशा हाेती रहती है। अस्पताल के कचरे को बाहर में डंप किया जाता है। जब उन्हें बताया गया कि कचरे को वार्डों की दीवार से लगाकर फेंका हुआ है। जिससे बदबू फैल रहा है। तो उसके बारे में उन्होंने कहा कि हम आते हैं, तो इसको देखते हैं। - डॉ. हरेंद्र कुमार, उपाधीक्षक डीएमसीएच
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